|| हे प्रभो प्रसीद ॐ ||
परम पूज्य महातपस्वी श्री कुमारस्वामीजी, धारवाड़ यांचा सन्देश
तीन की महती
१. तीन बातों से सदा बचो
अपनी तारीफ, दूसरों की निंदा, और पर-दोष दर्शन
२. तीन बाते ध्यान रख कर करो
ईश्वर का स्मरण, दूसरों का सम्मान और अपने दोष को देखना
३. तीनोंको को सदा वश में रखो
मन, रसनेन्द्रिय और जननेंद्रिय
४. तीनोंके सदा वश में रहो
भगवान के, धर्मं के और सदाचार के
५. तीन के सामने सदा नम्र रहो
गुरु, माता, और पिता
६. तीन से सदा प्रेम करो
ईश्वर, धर्मं और देश
७. तीन को सदा अपने हृदय में रखो
दया, क्षमा और विजय
८. तीन को हृदय से निकाल दो
राग, द्वेष और मस्सर
९. तीन बातों में शंका न करो
शास्त्रवचन, गुरुवचन, और शुद्ध मन की प्रेरणा
१०. तीनोंका सम्मान करो
वृद्धों का, ज्ञानीयोंका और निर्धन का
११. तीन कामों को खूब मन लगाकर करो
भजन, भगवान का ध्यान और सत्संग
१२. तीन अवसरों को पवित्र मानो
प्रेम के, करुणा के, और सहानुभूती के
१३. तीन बातों का दुराग्रह न करो
संप्रदाय का, वेश का और अपने मत का
१४. तीन से घृणा न करो
रोगी से, आर्द और नीच जातीवालों से
१५. तीन जगह रोज जाओ
देव मंदीर, संत की कुटियाँ और आजीविका के स्थान
१६. तीन से मजाक न करो
अंगहीनों से, विधवा या अनाथ से और दीन दुखी प्राणीयों से
१७. तीन बातों को मन की उन्नति के लिए रोज नियम से करो
स्वाध्याय, ध्यान और मानसिक दोषों का स्मरण
१८. तीन बाते स्वार्थ के लिए रोज नियम से करो
शुद्ध वायु में घूमना, नियमित आहार विहार और कुपथ्य का त्याग
१९. तीन न बनो
कृतघ्न, दांभिक और नास्तिक
२०. तीन बनो
नम्र, सरल, और ईश्वर का विश्वासी